जंग और हम

जंग अब शुरू हो चुकी हैतुम और मैं इस जंग का हिस्सा ज़रूर हैंपर हम लड़ते नहीं हैंहम लाशें उठाते हैंऔर उन लाशों के ताविजों सेउनका मज़हब निकालते हैंहंसते हैं यह सोचकर किना वो जिंदा है जिसने यह आग लगाईना वो कायम हो पाया जिसने आग भड़काईरह गए तो बस हमजो ना शरीक हुए ना … Continue reading जंग और हम